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मेरी तन्हाईयाँ बोलती हैं

'मेरी तन्हाईयाँ बोलती हैं'
कभी साथ देना मेरा, तन्हा हूँ इस सफ़र में,ग़ुम कहीं हो न जाऊं, इस अजनबी से शहर में,न चाहूँ फिर भी दिल का राज़ ये खोलती हैं,ऐसा मैं नहीं कहता, मेरी तन्हाईयाँ बोलती हैं |

बीच राह में छोड़ मुझे, मौजों में सहारा न देना,दूर होकर मुझसे तुम, नज़रों का इशारा मत देना,मैं आज भी वहीँ हूँ, तुम्हारे इंतज़ार में, नम रेत पर लिख रहा हूँ, नाम तेरा मझधार में |तेरे नज़रों के इशारों को गहराइयाँ तोलती हैं,आज भी मेरे आँगन में तेरी परछाइयाँ डोलती हैं,ऐसा मैं नहीं कहता, मेरी तन्हाईयाँ बोलती हैं |

Comments

  1. तेरे नज़रों के इशारों को गहराइयाँ तोलती हैं,
    आज भी मेरे आँगन में तेरी परछाइयाँ डोलती हैं,
    ऐसा मैं नहीं कहता, मेरी तन्हाईयाँ बोलती हैं |

    saarthak aur bhawnatmak,,pasand aaya..likhte rahiye..

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