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Showing posts from June, 2012

मेरी तन्हाईयाँ बोलती हैं

'मेरी तन्हाईयाँ बोलती हैं' कभी साथ देना मेरा, तन्हा हूँ इस सफ़र में, ग़ुम कहीं हो न जाऊं, इस अजनबी से शहर में, न चाहूँ फिर भी दिल का राज़ ये खोलती हैं, ऐसा मैं नहीं कहता, मेरी तन्हाईयाँ बोलती हैं | बीच राह में छोड़ मुझे, मौजों में सहारा न देना, दूर होकर मुझसे तुम, नज़रों का इशारा मत देना, मैं आज भी वहीँ हूँ, तुम्हारे इंतज़ार में,  नम रेत पर लिख रहा हूँ, नाम तेरा मझधार में | तेरे नज़रों के इशारों को गहराइयाँ तोलती हैं, आज भी मेरे आँगन में तेरी परछाइ याँ डोलती हैं, ऐसा मैं नहीं कहता, मेरी तन्हाईयाँ बोलती हैं |