सुनिए मैं एक कहानी सुनाता हूँ,
एक व्यक्ति, जिसके गुण मैं कभी न गाता हूँएक दिन मेरे पास वो आया,
बोला - " सुनिए मैं आपके लिए कुछ लाया "
बड़े ही प्रेम से मैंने उससे सवाल किया,
"क्यों भई, मेरे लिए तुम्हें ऐसा क्या मिल गया ? "
उसने कहा - हुजूर ! एक कविता सुनाता हूँ,
फिर तोहफा बाद में दिखाता हूँ
मैंने कहा - " फरमाइए ! "
उसने कहाँ - " ज़रा करीब तो आइये ! "
तो हुज़ूर, कविता कुछ इस प्रकार थी, हिंदी में ही, किन्तु एक तलवार थी
नेताजी ने बड़े प्रेम से, छोटू को बुलवाया,
बोले - " भाई ये रुपये लो,
इसे गाँव के गरीबों में बाँट दो,
कुछ कम्बल जो बचे हैं,
पिछले साल से रखे हैं,
इसे भी ले जाओ, गरीबों में बाँट आओ "
लाखों पोस्टरें छपवाओ, मेरा हैण्डसम सा फोटो लगवाओ,
उसमे ये ज़रूर छपवाना, अब तो सभी पाएँगे दाना ही दाना,
नोटों की बौछार होगी, खुशियाँ अपार होंगी,
प्याज और आलू तो सस्ता बिकेगा,
अब मंहगाई को कौन पूछेगा ?
कल ही एक बिल्डर बुलवाओ, पासवाली नदी पर एक पुल बनवाओ,
सेक्रेटरी ने पूछा - " क्या नेताजी ! क्या बात है ?
पहले तो हमेशा ही गरजते थे, ये कैसी बरसात है ? "
नेताजी बोले - " जानम समझा करो !! बीच में यार मत टपका करो
क्या तुम जानते नहीं, हममे परिवर्तन क्यूँ आया है ?
भाई ! मेरी मंजिल, इलेक्शन जो नज़दीक आया है "
यह कहानी सुनकर मैं दंग रह गया,
पूछ बैठा व्यक्ति से, " इतना दिमाग कहाँ से पाया ?
इतनी अच्छी कविता लिखने में, कितना टाइम लगाया ? "
वो बोला - " हुज़ूर ! पहले तोहफा तो देखिये,
आपने अखबार तो पढ़ा ही होगा ? जो पुल आपने बनवाया, उसने तेरासी व्यक्तियों को खाया
सच कहूं तो दिल रो रहा है, इतने अच्चे साहब को पकड़वाया है,
ये लीजिये, आपके नाम का ' वॉरंट ' आज ही आया है !! "
...ऋतु की कलम से
हास्य के जरिये आज की राजनीती की सच्चाई को बड़े ही सलीके से पेश करने की कोशिश की है आपने
ReplyDeleteएक सच्चाई ... जो हम देश की आजादी के बाद से निरंतर देख रहे हैं !
ReplyDeleteबधाई एक अच्छी कविता के लिए !
शुभकामनाएं !
कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !
तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स
आज की आवाज
Bahut sundear rachana...wow thats great...
ReplyDeleteReally nice...
Regards..
DevSangeet
Ritu ji,
ReplyDeleteVyangya to apane bahut achchhaa likha hai.ummeed hai aise hee ap age bhee likhatee rahengee.hindi men vyangya likhane vale to bahut hain,lekin achchhaa aur sarthak vyangya likhane vale kam hee hain kam hee hain .apako hardik badhai.
Hemant Kumar
अच्छी कविता. यूँ ही नज़र पड़ी और मन खुश हो गया.
ReplyDeleteहास्य व्यंग्य जिंदाबाद
- Sulabh Poetry यादों का इंद्रजाल
सुन्दर चित्रण किया आपने..
ReplyDeleteऋतु ने रचना में दिया नेताजी को मान।
ReplyDeleteसत्य वचन है आजकल नेताजी भगवान।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
aanand aa gya.narayan narayan
ReplyDeleteहिंदी भाषा को इन्टरनेट जगत मे लोकप्रिय करने के लिए आपका साधुवाद |
ReplyDeleteबढिया अभिव्यक्ति ! हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत ।
ReplyDeleteकवित तो अच्छी है लेकिन इसमें आप कवि नज़र आ रही है कवित्री नही। रचना को बेहतरीन है
ReplyDeleteमाननीय शुक्ला जी,
ReplyDeleteअभिव्यक्ति को बन्धनों में न बांधें |
अपने विचारों को तनिक विस्तृत करें,
बदलाव तो कोई न कोई लाएगा ही |
ऋतु जी ,
ReplyDeleteएक कवयित्री होकर अपनी कविताओं से इस दुनिया को अपने भिन्न भिन्न रूपों का परिचय करा दीजिये |
शिवोहम शिवोहम कहिये और आगे बढ़ते रहिये |
हमारी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं |
विनोद
अच्छा संवाद...
ReplyDeleteबहन ऋतू
ReplyDeleteआपका ब्लॉग अच्छा लगा
nice lines..gr8 thoughts...
ReplyDeleteReally wonderful....
ReplyDeleteWakai... jawab nahi...
Keep up the good wrk...
All d best...
gud 1 di !!![:)
ReplyDeleteवाह ,अपने युग के इस कालजयी विचार से मै बहुत प्रभावित हुआ ....."उत्तम रचना "
ReplyDeleteultimate ..i hv gone through your all poem .......
ReplyDeleteits really ...owesome