समेटी चाँद की किरणे, बिखेरी सुरमई सुबह,
सनी आलाप में आवाज़, घनी थी बादलों की साज़,
सजाई सपनो की दुनिया, चला मैं फासलों के साथ,
छिटकते कण मेरी साँसों के, श्यामल थी मेरी आवाज़ |
करों में थाम के सपने, उरों में बाँध आशाएं,
चला मैं बादलों के साथ, थमा मैं बादलों के साथ,
कड़ी एक स्नेह की, रोके खड़ी, मुझको है हर-पल-क्षण,
रुका मैं आँधियों से और चला मैं आँधियों के साथ |
तटों पे आके लहरें, आती हैं, रुक जाती एक पल को,
मुझे आभास क्यूँ होता है तेरे साथ होने का,
चुरायी याद की परतें, मेरी पूछे बिना मुझ बिन,
कुरेदी प्रेम की पाती, लिखी जो तारे हर पल गिन |
मेरे कमरे में कलमों की है इक गट्ठर अँधेरे में,
है पन्नो में तेरे शब्दों की मदमस्ती अँधेरे में,
सहेजी उसकी दृष्टि, अपनी दृष्टि में न जाने कब,
वो मेरे साथ आ पहुंची, जो तेरे साथ थी एक दिन |
तेरी परछाई भी मेरा पता क्यूँ खोज लेती है,
तेरे आने का अंदेसा मुझे हर रोज़ देती है,
झरोखे से मैं तुझको देखता हूँ बंद आँखों से,
भुलाना चाहूं भी तो याद तेरी आ ही जाती है |
...ऋतु की कलम से
बेहद ही खुबसूरत और मनमोहक…
ReplyDeleteआज पहली बार आना हुआ पर आना सफल हुआ बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
अहसासों का बहुत अच्छा संयोजन है ॰॰॰॰॰॰ दिल को छूती हैं पंक्तियां ॰॰॰॰ आपकी रचना की तारीफ को शब्दों के धागों में पिरोना मेरे लिये संभव नहीं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
सुन्दर!!
ReplyDeleteसुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
खूबसूरत एहसास की प्यारी कविता !
ReplyDeleteमन-मानस को भिगो देने वाली इन जज्बाती फुहारों से कोई नहीं बच पाएगा। आपको पढ़ना एक खूबसूरत एहसास है।
ReplyDeleteअमर आनंद
manzilaurmukam.blogspot.com
.सुंदर एहसास के साथ सुंदर रचना . ...दिल को छूती हैं पंक्तियां... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...!!!!.
ReplyDeleteतेरी परछाई भी मेरा पता क्यूँ खोज लेती है,
ReplyDeleteतेरे आने का अंदेसा मुझे हर रोज़ देती है,
वाह वाह बेहतरीन अभिव्यक्ति है
really heart touching
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