विभक्ति प्रेम की और द्वेष श्यामल है अँधेरे में, तनी आवाज़, नैतिकता, समाहित मन के घेरे में, चवन्नी आठ, कंचा पाँच, लेके चल पड़ा इक दिन, फटी थी जेब, उसमे हाथ, चवन्नी था रहा मैं गिन | किनारा था सड़क का, और मेरे पास एक डिबिया, थी उसमे बंद माँ की आस, थे कुछ सपने मेरे कुछ ख़ास, मैं चलते-चलते न जाने, सिसक उठता था अनजाने, मैं कहता था वो लौटेगा, वो कहती थी, न जाने कब, मैं कहता था कि शायद प्रेम का आभास होगा तब, पहाड़ी पर खड़ा मैं बंद आँखों से हथेली में, उठा लाया, वो रिश्ते, जो थी, बीती इक पहेली में, उठा अपना मैं झोला, खोजता था खत् पिताजी का, जो भीगी थी अभी तक, और सिलवट पाँच थी उसमे | मैं अपनी लेखनी को दे रहा आवाज़ उनकी आज, सघन बदल भिगोता है अचानक तन को मेरे आज, कोई सुन ले मेरे क़दमों की खामोशी, मेरी आँगन की तुलसी, और मेरी लेखनी का राज़, सिसकते और सिमटते रास्ते ने, दी मुझे आवाज़, मेरी आँगन की तुलसी और मेरी लेखनी का राज़ | ...ऋतु की कलम से
कल दूर पहाड़ी के उस पार कुछ काले बादल से दिखे थे,
ReplyDeleteआज कुछ लोगों से सुना की वहां भयानक आग लगी थी,
फिर सोंचा, वो काले बादल थे या तुम्हारी आँखों से निकला धुआं,
जो आज फिर किसी और पहाड़ी के दूर छोर पे दिख रहे हैं
Thanks for sharing.. Didnt knw that u write so well.. Dil ko chu gayi ..
ReplyDeleteऐसे ही लिखती रहो ...
ReplyDeleteऔर इस कलम से लिखे पन्ने दूर दूर तक पहुचें
Amazing. Ur really talented and you really touched my heart.
ReplyDeletekya yaar tum likhte ho y to malum tha par itna bhadya pata nai tha g8 yaar
ReplyDeletehmm next gulzar in making:).......good going ritu:)
ReplyDeleteक्या लिखूँ जिससे आप reply दो .........
ReplyDeleteकुछ जीत लिखू या हार लिखूँ
या दिल का सारा प्यार लिखूँ ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखू या सापनो की सौगात लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
मै खिलता सुरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ॰॰॰॰॰॰
वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सान्स लिखूँ
वो पल मे बीते साल लिखू या सादियो लम्बी रात लिखूँ
मै तुमको अपने पास लिखू या दूरी का ऐहसास लिखूँ
मै अन्धे के दिन मै झाँकू या आँन्खो की मै रात लिखूँ
मीरा की पायल को सुन लुँ या गौतम की मुस्कान लिखूँ
बचपन मे बच्चौ से खेलूँ या जीवन की ढलती शाम लिखूँ
सागर सा गहरा हो जाॐ या अम्बर का विस्तार लिखूँ
वो पहली -पाहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ
सावन कि बारिश मेँ भीगूँ या आन्खो की मै बरसात लिखूँ
गीता का अॅजुन हो जाॐ या लकां रावन राम लिखूँ॰॰॰॰॰
मै हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस ईन्सान लिखूँ॰॰॰॰॰
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ur line recall me few line of Late Haribans Rai Bachchan..
ReplyDeletemai tumhara sneh, samwedan, samadar chahta hun...
par nahi us daam par jo mangte tum...
wah ritu it's really amazing,multi talented ho yaar
ReplyDeleteआपकी भावनाएं बिलकुल कोमल हैं.....
ReplyDeletesimply awesome..... g8 yaar....keep it up
ReplyDeletethere's only one word-"brilliant"!
ReplyDeleteLoved this one. Indeed lovely writing and use of words. :) Maza aa gaya :)
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